ज्योतिष शास्त्र का मानना
है कि स्त्रियों
के बायें अंग
पर तिल का
होना शुभ सूचक
है। काले रंग
के तिल अशुभ
माने जाते हैं
जबकि गुलाबी व
लाल रंग वाले
तिल हमेशा अनुकूल
फल देने वाले
होते हैं। नीले
व हरे तिल
सदैव अशुभ माने
जाते हैं जबकि
भूरे रंग के
तिल मध्यम फल
देने वाले होते
हैं। सफेद तिल
खून की कमी
को तथा शारीरिक
विकृति को बताने
वाले होते हैं।
स्त्री के ठुड्डी
पर अगर तिल
है तो वह
वाचाल होती है।
अगर तिल पुरुष
की ठुड्डी पर
हो तो वह
मधुर स्वभाव का
तथा शांत प्रकृति
का होता है।
स्त्री की पीठ
पर तिल होने
से वह बहुभोग्या,
पेट पर तिल
होने से अनेक
संतान वाली तथा
कान पर तिल
होने से कान
की कच्ची होती
है।
जिस स्त्री के ऊपरी
होंठ पर तिल
होता है, वह
धनवान और उत्तम
भविष्य वाली होती
है। इसी प्रकार
जिसके निचले होंठ
पर तिल होता
है, वह अपने
पति से विशेष
प्रेम करने वाली
होती हैं। जिस
स्त्री की दाहिने
बांह में तिल
होता है,वह
अपने पति के
लिए भाग्यशाली होती
है और जिस
स्त्री के पीठ
पर तिल होता
है, वह उत्तम
लक्षणों से युक्त
एवं पति परायण
होती है।
जिस स्त्री के बायें
स्तन के बीच
तिल होता है,
उसका प्रसव सुखपूर्वक
होता है, वह
बुद्धिमान एवं हमेशा
प्रसन्नचित्त रहने वाली
होती है। दक्षिण
स्तन पर अगर
लाल रंग का
तिल हो तो
वह चार कन्या
एवं तीन पुत्रों
की मां बनती
है। जिस स्त्री
के दोनों स्तनों
के बीच तिल
होता है, वह
पतिव्रता एवं ईश्वर
में आस्था रखने
वाली होती है।
जिस स्त्री के दाहिने
कूल्हे या नितम्ब
पर तिल का
होना वाहन सुख
को प्रदान करने
वाला होता है।
अगर यही तिल
बांयें कूल्हे पर हो
तो स्त्री अनेक
पुरूषों के साथ
सम्भोग सुख प्राप्त
करती है। बायें
हाथ के किसी
भी अंगुली पर
तिल होने से
स्त्री खर्चीली होती है
जबकि दाहिने हाथ
की अंगुली का
तिल कंजूसी को
दर्शाता है।
जिस स्त्री के बायें
कान, बायें गाल,
बायें गले या
बायें हाथ में
तिल हो तो
वह प्रथम प्रसव
में पुत्र रत्न
को ही प्राप्त
करती है। अगर
नारी के बायीं
कांख में गहरा
तिल हो तो
वह पतिप्रिया एवं
पुत्रवती होती है।
जिस स्त्री के
दाहिने घुटने पर तिल
होता है, वह
सुंदर पति को
प्राप्त करती है।
जिस स्त्री के
नेत्र के कोने
में तिल होता
है, वह किसी
भी पुरूष को
अपनी ओर आकर्षित
करने में कामयाब
होती है।
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