प्रायः लोग बीमारी
के हद से
गुजरने या असहनीय
होने के बाद
ही डाॅक्टर के
पास जाते हैं,
किन्तु यह ठीक
बात नहीं होती
क्योंकि तबतक बामारी
लाइलाज भी हो
सकती है। अगर
शुरूआत में ही
लक्षणों के आधार
पर बीमारी का
पता लग जाए
तो डाॅक्टर की
सलाह लेकर किसी
भी शारीरिक समस्या
से छुटकारा पाया
जा सकता है।
प्रस्तुत है कुछ
प्रमुख बीमारियों के प्रमुख
लक्षण:-
अगर पैरों
के निचले हिस्से
में एक सप्ताह
से अधिक सूजन
बनी रहे और
सूजन वाले स्थान
पर दबाने से
गड्ढ़ा बन जाए
तो यह हृदय,
किडनी, लीवर या
थाइराॅइड की किसा
गड़बड़ी का लक्षण
हो सकता है।
टखनों में सूजन
का होना, डायबिटीज,
रूमेटाॅइड आर्थराइटिस लसिका ग्रंथी
या फिर किडनी
की किसी बीमारी
का लक्षण हो
सकता है।
घुटनों के ठीक
नीचे के हिस्से
में सूजन थायराॅइड
की एक गम्भीर
गड़बड़ी ‘ग्रेब्ज डिजीज’ का
लक्षण हो सकता
है।
जांघों के उपरी
हिस्से या ग्राॅइन
में एक मुलायम
उभार जो दबाने
पर दब जाता
हैऔर फिर वापस
ज्यों का त्यों
उभर आता है,
हर्निया का लक्षण
हो सकता है।
पेट लगातार
फूला हुआ नज़र
आये तो इसका
कारण गैस, डकार
व बदहज़मी होने
की समस्या या
गर्भाशय का कैंसर
होने का लक्षण
हो सकता है।
ग्राॅइन के ऊपर
दो सप्ताह या
उससे अधिक समय
तक किसी गांठ
का स्पष्ट रूप
से दिखाई देना,
पैरों के संक्रमण,
त्वचा कैंसर या
लसिका ग्रंथियों के
कैंसर का लक्षण
हो सकता है।
उरूमूल में अचानक
बिना किसी कारण
के गांठ का
नज़र आना ‘मल्टिपलस्किलेरोसिस’
का लक्षण हो
सकता है।
मवादयुक्त छाले, फफोले,
जो लाली लिए
हुए तथा गर्म
होते हैं भयंकर
दर्द का एहसास
कराते हैं और
असामान्य रूप से
बड़े भी हो
सकते हैं, डायबिटीज
के लक्षण माने
जाते हैं।
पेट के
मध्य भाग का
फूल जाना और
अत्यधिक तेज दर्द
का एहसास- अपेण्डिसाइटिस,
पित्त पथरी, अल्सर,
अंतड़ियों में ट्यूमर
वगैरह के लक्षण
हो सकते हैं।
कंधों का झुका
होना ‘आस्टियोपोरोसिस’ अर्थात्
अस्थिक्षरण हो सकता
है। अगर कंधों
के झुकने के
साथ-साथ वजन
भी खूब बढ़
रहा हो तो
यह एड्रिनल ग्रंथी
की गड़बड़ी के
चलते होने वाली
बीमारी ‘कर्शिप्स सिंड्रोम’ का भी
लक्षण हो सकता
है।
किसी ठंडी
वस्तु के संपर्क
में आने पर
उंगलियां पहले सफेद,
फिर नीली और
उसके बाद लाल
पड़ जाये ंतो
यह रक्तवाहिकाओं की
बीमारी ‘रेनाॅड्स फंनोमेनन’ का
लक्षण होता है।
कई बार ‘रूमेटाइड
आर्थराइटिस’ तथा ल्यूपस
की शिकायत होने
पर भी ऐसे
लक्षण दिखाई देते
हैं।
हाथ-पांव
का सुन्न पड़ना
या उनमें झुनझुनाहट
महसूस करना
डायबिटीज, मल्टिपल स्केलेरोसिस या
शरीर में विटामिन
‘बी’ की कमी
का लक्षण हो
सकता है।
हाथों में लरजिस
अर्थात् थरथराहट महसूस होना
थाॅयराइड की गड़बड़ी
‘पार्किन्सन्स’ डिजीज का लक्षण
हो सकता है।
अचानक बहुत अधिक
कमजोरी या ढ़ीलापन
महसूस करना, हाथ-पैर की
संवेदनशीलता और ‘कोआॅर्डनेशन’
क्षमता यानी एक-दूसरे से तालमेल
बिठाकर सक्रिय होने की
क्षमता में कमी
आना ‘स्ट्रोक’ का
लक्षण माना जाता
है।
ग्रंथियों में सूजन
के साथ-साथ
ऊपरी श्वसन अंगों
में संक्रमण की
शिकायत टी.बी.
कैंसर या हाथकिन्स
डिजिज के लक्षण
हो सकते हैं।
कानों के किनारे
या नाक के
सिरे पर भूरे-नारंगी रंग की
गांठों की मौजूदगी,
जिनका आकार धीरे-धीरे बढ़ता
जाता है, त्वचा
फेफड़ों और लसिका
ग्रंथियों को प्रभावित
करने वाले रोग
‘सार्को-ईडीसिस’ का लक्षण
हो सकता है।
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