Pregnancy Problems and Solution गर्भावस्था : समस्याएं तथा उनका समाधान

गर्भधारण करना प्रत्येक विवाहिता का नैतिक अधिकार होता है। मां बनने में ही दाम्पत्य जीवन की पूर्णता होती है। गर्भधारण करना तथा प्रसव जीवन की सफलता एक स्वाभाविक क्रिया होती है। यह कोई ऐसी बीमारी नहीं होती जिसकं विषय में सोच-सोचकर परेशान रहा जाए। अज्ञानता या अधूरे ज्ञान के कारण कभी कभी गर्भ और प्रसव चिन्ता का कारण बन जाता है। खासकर उन महिलाओं को जो प्रथम बार गर्भवती हुई होती हैं, गर्भावस्था का भय अधिक सताता है।
     अगर आप भी मां बनने जा रही हैं, ता आप बहुत ही भाग्यशाली हैं क्योंकि आपका दाम्पत्य जीवन सफल होने जा रहा है। आपके लिए गर्भावस्था से संबंधित कुछ समस्याएं तथा उनका समाधान प्रस्तुत है ताकि आप तथा आपका गर्भस्थ शिशु दोनों ही स्वस्थ एवं सुरक्षित रह सके।
    गर्भधारण करते ही नियमित रूप से होने वाला मासिक स्राव बन्द हो जाता है तथा स्तनों के आकार में परिवर्तन होने लगता है। इस दौरान मजबूत तथा उचित साइज का ब्रा पहनें ताकि स्तन वृद्धि में रूकावट आये।
     गर्भावस्था के दौरान गर्भवती के शरीर में खून की कमी होने लगती है। इसका प्रभावएनीमियाके रूप में उजागर होता है। इस दौरान पालक एवं अंडे की जर्दी आदि का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। डाॅक्टर की सलाह सेआयरनकी गोलियों का सेवन करते रहना चाहिए।
     गर्भवती स्त्री के पेट, जांघ और स्तन आदि अंगों पर सफेद धारी युक्त लकीरें पड़ जाती हैं जो प्रसव के बाद प्रायः ठीक हो जाती हैं। इसके लिए घबराना नहीं चाहिए।
     गर्भावस्था के समय प्रायः कब्ज की शिकायत हो जाती है। रेशेदार पदार्थों को भोजन में लेते रहना तथा खूब पानी पीकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
     गर्भवती का जी मिचलाना या उल्टी आना भी एक समस्या है। इससे घबराना नहीं चाहिए। छोटी इलायची को मुंह में रखकर चबाते रहने से परेशानी समाप्त हो जाती है।
     गर्भावस्था में ड्राइविंग करना कोई खतरनाक नहीं होता किन्तु धीरे-धीरे गाड़ी चलाना ही अच्छा होता है। भीड़-भाड़ वाले इलाके से बचना गर्भवती के लिए लाभप्रद होता है।
     गर्भावस्था के समय गर्भवती का वजन बढ़ जाता है तथा मोटापा भी बढ़ जाता है। इससे घबराना नहीं चाहिए क्योंकि प्रसव के बाद मोटापा स्वतः ही घट जाया करता है।
     गर्भावस्था में हारमोन अधिक उत्तेजित हो जाता है। इसी कारण गर्भवती अधिक भावुक हो जाती है तथा कभी घबराहट तथा तनाव महसूस करने लगती हैं। भावुकता पर अंकुश रखना अनिवार्य होता है।
     गर्भवती तहिला को अपने घर के काज को करते रहना चाहिए इससे उसका स्वास्थ्य ठीक रहता है, किन्तु भारी वजन उठाना, ऊंची सीढ़ियों पर झटककर चढ़ने से वर्जित करना चाहिए।
     गर्भावस्था में पैरों, घुटनों एवं मुंह पर सूजन जाती है। इससे छुटकारा पाने के लिए भरपूर आराम करना चाहिए तथा प्रोटीनयुक्त भोजन करना चाहिए। अत्यधिक सूजन की अवस्था में चिकित्सक से मिल लेना चाहिए।
     आयरन एवं कैल्शियम गर्भवती के लिए बहुत ही आवश्यक होता है अतएव सूखे मेवे, गुड़, अंडा, मछली, मीट, पत्तेदार सब्जियां, फोलिक एसिड, विटामिनबीकी गोलियां डाॅक्टर के सलाह से लेते रहना चाहिए।
     गर्भावस्था में कोई भी औषधि स्वविवेक से नहीं लेनी चाहिए। चिकित्सक की सलाह पर ही किसी औषधि का सेवन करना चाहिए।
     अल्कोहल युक्त शराब पीने से शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है नशे के सेवन से या धूम्रपान करने से उदरस्थ भ्रूण पर कुप्रभाव पड़ता है तथा गर्भपात भी हो सकता है।

     गर्भावस्था के दौरान सम्पूर्ण हिफाजत करके ही उदरस्थ शिशु के साथ-साथ स्वयं को भी सुरक्षित रखा जा सकता है। अतः इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
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