Leo Heroscope सिंह राशि के जातकों की कामना पूरी करते हैं: भगवान शंकर

  जैसा कि प्रत्येक जन्मलग्न में तीस अंश होते हैं और दस-दस का एक भाग बनाकर तीनों अंशों कांे बांट दिया जाता है। मा,मी,मू तीन वर्णों को प्रथम दस अंश, मे,मो,टा को द्वितीय दशांश तथा टी,टू,टे को तृतीय अंश मानकर तीनों अंशों के अलग-अलग देवता माने जाते हैं।
22 जुलाई से 21 अगस्त के बीच जन्म लेने वाले जातकों को सिंह राशि का जातक माना जाता है। इस अवधि को तीन भागों में बांटकर प्रत्येक दशांश के जातकों का जन्म दिनांक निकाल लिया जाता है अर्थात् 22 जुलाई से 31 जुलाई के मध्य जन्म लेने वाला जातक प्रथम दशांश का माना जाता है जिनका नाम मा,मी,मू से प्रारम्भ होता है।
  जिनका नाम मा,मी,मू से शुरू होता है अर्थात जिनका जन्म 22 जुलाई से 31 जुलाई के मध्य हुआ हो, वैसे जातक (स्त्री-पुरुष ) को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। भगवान शंकर उनके इष्ट देव माने जाते हैं और इन्हीं का आराधना से उन्हें अभीष्ट की प्राप्ति हो सकती है।
  इन जातकों कोऊँ नमः शिवायमंत्र का जप करना, शिवपंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ करना, रूद्राष्टाध्यायी का पाठ करना आदि लाभकारी होता है। सामवार का व्रत करना, पंचमुखी रूद्राक्ष के साथ द्विमुखी रूद्राक्ष को मिलाकर माला के रूप में धारण करना तथा अर्धनारीश्वर यंत्र, युगल यंत्र, रूद्रयंत्र आदि में से किसी एक को धारण करना सर्वोन्नति कारक माना जाता है।
  इन जातकों को हरी वस्तुओं का दान करना चाहिए तथा सर्प को कभी भी नहीं मारना चाहिए। संभव हो तो प्रत्येक सोमवार को कम से कम एक कुंवारी कन्या को भोजन कराकर उसका आर्शीवाद ग्रहण करना चाहिए। इससे मा,मी,मू वर्णों से प्रारम्भ होनेवाले जातकों को सकारात्मक लाभ मिल सकता है। सिंह राशि के प्रथम दशांश में जन्म लेने वाले जातकों को सोमवार, बुधवार तथा शुक्रवार को मैथुन क्रिया से बचना चाहिए।
  सिंह राशि के द्वितीय दशांश वाले जातकों का जन्म 01 अगस्त से 10 अगस्त के बीच का होता है। इनका नामाक्षर मे,मो तथा टा से प्रारम्भ होता है। इन जातकों के इष्ट भगवानविष्णुहोते हैं। लक्ष्मीपति की कृपा से ये जातक सूख-समृद्धि से भरपूर होते हैं।
  मे,मो,टा वर्णों से नाम प्रारम्भ होने वाले जातकों कोऊँ नमो भगवते वासुदेवायमंत्र का जाप तुलसी की माला पर करना चाहिए। इसके साथ ही विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ, विष्णु चालीसा का पाठ, गोपाल सहस्त्रनाम आदि में से किसा एक का पाठ नियमित रूप से करते रहना चाहिए। इन जातकों को विष्णुयंत्र, क्षीरशयनी यंत्र, अनन्त यंत्र, में से किसी एक यंत्र को अवश्य ही धारण करना चाहिए। इन जातकों को मंगलवार, गुरूवार तथा शनिवार को सम्भोग से स्वयं को अलग रखना चाहिए। प्रत्येक पूर्णिमा को श्री नारायण की पूजा, गुरूवार को उपवास तथा भिखारियों को दान देने की विधि भी अपनानी चाहिए। इससे उनकी सभी कामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
  सिंह राशि के तृतीय दशांश में जन्म लेनेवाले जातकों का नामाक्षर टी,टे,टू से शुरू होता है तथा इनकी जन्मतिथि 11 अगस्त से 21 अगस्त के मध्य होती है। इन जातकों के इष्ट भगवानभैरवको माना जाता है।ऊँ बं बटुकाय नमःमंत्र का जाप रूद्राक्ष की माला पर नियमित करते रहने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं।

भैरवाष्टक, भैरवस्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र आदि के पाठ - जाप के साथ ही भरव यंत्र, त्रिदेव यंत्र, इन्द्राक्षी यंत्र में से किसी एक यंत्र को अवश्य ही धारण करना चाहिए। इन जातकों को रविवार, मंगलवार, तथा शनिवार को संभोग से अवश्य ही बचना चाहिए। ये जातक काम पीड़ा से अत्यधिक पीड़ित नज़र आते हैं अतएव स्वयं पर नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक होता है। इसप्रकार सिंह राशि के जातकों को अपने मूलाक्षर एवं जन्मतिथि के अनुसार भगवान शंकर, विष्णु एवं भैरव की पूजा करके अभीष्ट को प्राप्त करना चाहिए।

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