कैसा हो आपका धूप का चश्मा ?


         आँखों को अंधी करती चमक, बर्दाश्त होनेवाली धूप,चिलचिलाती गर्मी और हवा में उड़ती धूल ~ यही है भारतीय गर्मी का परिदृश्य। गर्मी जो बदन को जलाती है,पसीने से लथपथ और आलस्य से भरी होती है, साल-दर-साल बढ़ती ही जा रही है। इस बढ़ती गर्मी से राहत के लिए प्रमुख उपायों में शामिल हैं - नींबू-पानी, कोल्ड-ड्रिंक्स, तथा धूप के चश्में। यहाँ हम धूप के चश्में की ही चर्चा कर रहे हैं। 
     धूप के चश्में का बाज़ार मौसमी हुआ करता है। मार्च के मध्य से लेकर जुलाई मध्य तक धूप भरे मौसम के लिए इसका प्रयोग बहुतायत होता है। शरीर का सबसे कोमल अंग आँखों को माना जाता है। चिलचिलाती धूप की गर्मी और धूल भरी हवा के झोंकों से सबसे अधिक कुप्रभाव आँखों पर ही पड़ते हैं। 
     इन दिनों बाज़ार में अनेक ब्रांडों के धूप के चश्में गए हैं। अनेक ब्रांड, डिजाइनों तथा उपयोगिता के आधार पर 50 रुपये से लेकर 4000 तक के शीट प्लास्टिक या मेटल फ्रेम के धूप के चश्में बाज़ार में मोनालिसा सनलिट, एम्बरविजन, पोर्श आदि अनेक नामों से बिक रहे हैं। 
     भारत के बाज़ारों में सर्वाधिक बिकने वाले धूप के चश्मों में 'रे-बैनका नाम मशहूर है। यह ओरिजनल, इंडिया फेक, ताइवानीज फेक आदि किस्मों में उपलब्ध है। अधिक महँगा (1200 से 10000 तक ) होने के कारण यह आम लोगों की पहुँच से काफी दूर है। इसका एक किस्म 1. 30 लाख वाला भी है। 
     फेक का मूल्य 50 से 800 रुपए तक है। इसका बाज़ार काफी अच्छा है। फुटपाथी अन्य लोकल धूप के चश्में भी कम कीमत में उपलब्ध हो जाते हैं। ये धूप के चश्में आँखों के लिए खतरनाक भी हो सकते हैं। इसे तो हर कोई जनता है कि आँखें धूप की तेजी के अनुसार अपने-आप फैलती या सिकुड़ती हैं। सादे गहरे रंग के लेंस अँधेरे में आँखों कि पुतलियों को ज्यादा फैला देती है,जो आँखों के लिए हानिकारक होती है। इससे आँखों में अल्ट्रावायलेट किरणों के प्रवेश करने की गुंजाइश अधिक होती है। 
     वैज्ञानिक पद्धति से विकसित फ़िल्टर सनग्लास आँखों के लिए हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों को आँखों में प्रवेश करने से रोकता है। इस खतरनाक किरण को फिटर द्वारा बाहर रोके जाने के कारण एक और जहाँ आँखों को कोई नुकसान नही पहुँचता, वहीं आँखों की रौशनी भी स्वाभाविक सीमा के नए स्तर तक बढ़ जाती है। 
     रे-बैन के अतिरिक्त और भी अनेक अंतराष्ट्रीय ब्रांड्स बाज़ार में उपलब्ध हैं, जो वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार धूप की परावैगनी किरणों से आँखों को सुरक्षित रखते हुए उनको तरोताजा बनाए रखते हैं। क्रिश्चियन डायर, फ्रेंच लुक्स, जार्जियो अरमानी, कैल्विन, प्लैमरस, पैलोमा, पिकासो, आईवियर, फास्ट्रैक सहित अनेक ऐसे ब्रांड्स हैं , जो 1200 से लेकर 8000 रुपए के बीच गुणवत्ता के आधार पर बाज़ार में उपलब्ध हैं। 
     धूप के चश्मों के निर्माण में लगी छोटी-छोटी कम्पनियाँ पुरानी हो चुकी तकनीक डिपिंग या इनामोलिंग विधि से धूप के चश्मों का रंग उभरती हैं। साधारण शीशों से निर्मित लेंस के पूरे गोल कटे नहीं होने के कारण उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध बनी रहती है। इस प्रकार के लेंस वाले चश्मे आँखों पर दबाव डालते हैं तथा आँखों की कोमलता को भी प्रभावित करते हैं। 
     धूप के ज़हरीले प्रभाव से आँखों को बचाने के लिए धूप के चश्मों को खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता कि परख आवश्यक होती है। आँखों की कोमलता एवं उनकी ताजगी को बरकरार रखने के लिए यह आवश्यक है कि धूप का चश्मा किसी विश्वसनीय दुकान से ही खरीदा जाए। 

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