क्या आप स्वस्थ रहना चाहते है....||Health Tips|| Swasthya Aur Saundarya

बीमार पड़ने पर उपचार की तैयारी करने से अच्छा है कि हम स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बने रहें। खुद को स्वस्थ कैसै रखा जाए, इसके लिए हमारे आयुर्वेद शास्त्र ने अनेक उपाय बताए हैं। कुछ स्वास्थ विषयक नियमों का पालन करते हुए हम अपने स्वास्थ्य को संतुलित रख सकते हैं। अगर इन्हें जल्द ही अपने जीवन में लागू किया जाए तो बीमार होने की आशंका काफी हद तक कम की जा सकती है।
     भोजन करने के बाद बाएं करवट लेटकर मुंह बंद करके सात सांस लें, इसके बाद चित्त लेटकर चैदह सांस लें। इस विधि से भोजन की पाचन क्रिया सही रहती है और उदर संबंधी अनेक रोग जैसे गैस, बदहजमी, अजीर्ण, कब्ज आदि की बीमारी आपसे दूर नज़र आएगी।
     भोजन करने से पहले तथा भोजन करने के बाद मूत्र त्याग करने से पेट की पथरी, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, जोड़ों में दर्द की अनेक परेशानियों से बचा जा सकता है।
     मल-मूत्र त्याग करते समय दांत पर दांत सटाए रखें। इससे दांत कमजोर नहीं होते, हिलते नहीं हैं और दांतों में दर्द नहीं होता। इस विधि से दांत संबंधित अनेक परेशानियों एवं बीमारियों से बचा जा सकता है।
     सप्ताह में एक दिन दोनों कानों में शुद्ध सरसों का तेल डालने से तथा स्नान से पहले नित्य नाभि में सरसों का शुद्ध तेल लगात रहने से कान बहना, कान दर्द, कनफेड़ा और लिवर से भी संबंधित अनेक बीमारियां दूर रहती हैं।
     रात में सोने से पहले एवं सुबह बिस्तर से उतरने से पहले भूमि को प्रणाम करने से शरीर की अकड़न, नींद आना आदि अनेक परेशानियां दूर हो जाती हैं। यह कार्य नियमित किया जाना चाहिए।
     स्नान करते समय सबसे पहले बाएं पांव पर पानी डालें। इसके बाद क्रमशः दाएं हांथ, पेट, माथा तथा पूरे शरीर पर पानी डालने से सर्दी, खांसी बुखार आदि अनेक परेशानियों से बचा जा सकता है।
     साबुन से स्नान करने के बाद सम्पूर्ण शरीर पर सरसों, नारियल या अन्य तेल लगाकर पुनः स्नान कर लेने से खुजली, दाद, एक्जिमा, लाल दाने आदि अनेक चर्म रोगों से बचा जा सकता है।
     पालथी मारकर भोजन करने से पेट संबंधी अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।
     शुद्ध सरसों तेल को नाक में सूंघते रहने से नकसीर, सर्दी, नजला, जुकाम, अधिक छींक आना, आदि अनेक बीमारियां दूर रहती हैं। समयाभाव हो सप्ताह में एक दिन अवश्य ही सरसों का तेल लगाना चाहिए।
     भोजन के बाद अगर दांत में तिनका करना पड़ता हो तो हरे दूब के डंठल से तिनका करने से दांत में कीड़े नहीं लगते हैं और दांत में दर्द भी नहीं होता है।
     प्रातःकालीन सूर्य की रौशनी में नियमित रूप से बैठने से पेट, तिल्ली, लिवर, गुर्दा, चर्मरोग आदि अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।
     रात को सोते समय ढ़ीले कपड़े पहनकर सोना चाहिए। अन्डरवीयर एवं नारीगत अधोवस्त्रों को खोलकर ही सोना हितकर होता है।
     प्रातःकाल नित्य लगभग एक किलोमीटर तक टहलने से, हरी दूब पर नंगे पांव चलने से उद्यान में कुछ घंटे बिताने से हाई ब्लड प्रेशर, आंखों की रोशनी की कमी, मोटापा आदि अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।
     स्वास्थ्य को ठीक रखना यक शरीर का अस्वस्थ बनाना, आपके चिकित्सक के पास बार-बार जाते रहना अच्छा है या ऊपर बताए गए नियमों का पालन करके स्वस्थ रहना, यह आप पर निर्भर करता है।





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